कार्य

राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (रा.ज.वि.अ.), की स्थापना जुलाई-1982 में सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक स्वायत्त सोसाइटी के रूप में की गई थी, ताकि प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली के जल संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल करने हेतु संभाव्यता रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक वैज्ञानिक और यथार्थवादी आधार पर जल संतुलन और अन्य अध्ययनों को पूर्ण किया जा सके और इस प्रकार केंद्रीय जल आयोग और तत्कालीन सिंचाई मंत्रालय (अब जल शक्ति मंत्रालय,जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग) द्वारा तैयार राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के प्रायद्वीपीय नदी विकास घटक को ठोस आकार दिया जा सके। वर्ष 1994 में, रा.ज.वि.अ. को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के हिमालयी घटक का कार्य सौंपा गया था। वर्ष 2006 में, यह निर्णय लिया गया कि रा.ज.वि.अ. अंत:राज्यीय लिंक की संभाव्यता का पता लगाएगा और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एन.पी.पी.) के तहत नदियों के लिंक प्रस्तावों का विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डी.पी.आर.) तैयार करने का कार्य करेगा। अंत:राज्यीय लिंक के डी.पी.आर. तैयार करने के कार्यारंभ हेतु रा.ज.वि.अ. के कार्यों को जल शक्ति मंत्रालय के संकल्प 19.05.2011 द्वारा संशोधित किया गया। हाल ही में 7 अक्टूबर 2016 को रा.ज.वि.अ. के कार्यों को प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (पी.एम.के.एस.वाई.) के तहत नदियों का अंतर्योजन परियोजनाओं के कार्यान्वयन और जल संसाधन परियोजनाओं को पूर्ण करने तथा परियोजनाओं के निष्पादन के लिए बैंकों/अन्य संस्थानों से उधारीकृत निधि या ऋण के एक निक्षेप स्थल के रूप में कार्य के लिए संशोधित किया गया।

रा.ज.वि.अ. के अद्यतित कार्य निम्नानुसार हैं:

क. संभाव्य जलाशय स्थलों एवं अंतःसंयोजन लिंक के विस्तृत सर्वेक्षण और अन्वेषण कार्यान्वित करने हेतु ता कि जल संसाधन विकास के लिए तत्कालीन सिंचाई मंत्रालय (अब जल शक्ति मंत्रालय,जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग) और केंद्रीय जल आयोग द्वारा तैयार राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के अंगभूत प्रायद्वीपीय नदियां विकास घटक (1981) और हिमालयी नदियां विकास घटक (1994) के प्रस्ताव की संभाव्यता स्थापित करना।

ख. विभिन्न प्रायद्वीपीय नदी प्रणालियों (1981) और हिमालयी नदी प्रणालियों (1994) में जल की मात्रा के संबंध में विस्तृत सर्वेक्षण कार्यान्वित करना, जिसे निकट भविष्य में बेसिन/राज्यों की उचित आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद अन्य घाटियों/राज्यों में स्थानांतरित किया जा सकता है।

ग. प्रायद्वीपीय नदियों के विकास (1981) और हिमालयी नदियों के विकास (1994) से संबंधित योजना के विभिन्न घटकों की संभाव्यता रिपोर्ट तैयार करना।

घ. संबंधित राज्यों की मतैक्यता के बाद जल संसाधन विकास के लिए राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत नदी के लिंक प्रस्तावों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (2006) तैयार करना।

ङ. अंत:राज्यीय लिंकों, जैसा राज्यों द्वारा प्रस्तावित किया जा सकता है, की पूर्व-संभाव्यता/संभाव्यता(2006)/विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (2011) तैयार करना। संबंधित प्रस्तावों के लिए संबंधित सह-बेसिन राज्यों की मतैक्यता, उनके संभाव्यता विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन को तैयार करने के पूर्व प्राप्त की जा सकती है।

च. प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (पी.एम.के.एस.वाई) के तहत आने वाली परियोजनाओं एवं एवं नदियों के अंतर्योजन की अंगभूत परियोजनाओं, जिनमें से त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (ए.आई.बी.पी) के तहत परियोजनाओं को भी शामिल किया गया है और इसी तरह की अन्य परियोजनाओं को पूर्ण करने के लिए अपनी स्वयं की या किसी नियत अभिकरण/संगठन/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम या कंपनी के माध्यम से परियोजनाओं को लागू करना/निर्माण करना/मरम्मत करना/पुनर्निर्माण करना/पुनर्वास करना।

छ. किसी उधारीकृत निधियों या जमा पर प्राप्त धन या ब्याज पर दिया गया ऋण या अन्यथा के एक निक्षेप स्थल के रूप में इस तरह कार्य करना जैसा कि तत्कालीन जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय (अब जल शक्ति मंत्रालय,जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग)  द्वारा निर्देशित किया गया हो एवं ऐसी किसी भी उधारीकृत निधियों/जमा धन/ऋण आदि के पुनर्भुगतान को वर्तमान तथा भविष्य दोनों में; सभी या किसी भी संपत्ति, परिसंपत्तियाँ या सोसाइटी के राजस्व के बंधक, गिरवी, परिवर्तन या ग्रहणाधिकार के रूप में सुरक्षित करना।

ज. उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए (1981) अन्य ऐसे सभी कार्य करना जो सोसाइटी द्वारा आवश्यक, आकस्मिक, अनुपूरक या अनुकूल समझे जा सकते हैं।